९ अगस्त को ये लोग पहुँच गए. अब सब तुम्हारे आने का बेसब्री से इन्तजार कर रहे हैं.अब १५ दिन और बचे हैं जब कि तुम हमारे पास ही होगे. डॉक्टर के हिसाब से सब कुछ नार्मल ही है.बस आजकल मम्मा मजे से खा पी रही है और तुम्हारे लिए सामान ठीक से लगा रही है.
१८ अगस्त को हॉस्पिटल गए तो डॉक्टर ने कहा अगर दर्द नहीं हो तो २४ अगस्त को एडमिट हो जाना.और हम लोग ख़ुशी ख़ुशी वापस आ गए. पर आप तो शुरू से ही बहुत शोशेबाज हो तो २४ तक का वेट नहीं कर पाए और २० अगस्त को ही मूवमेंट करना कम कर दिया.अब तो हॉस्पिटल जाना ही अंतिम चारा था तो गए वहां पता लगा कि धड़कन भी थोडा सा कम है. डॉक्टर के हिसाब से खाना खाने के बाद दुबारा टेस्ट करवाना था तो घर वापस आ गए फिर शाम को गए. वहां बोला गया कि मम्मा को एडमिट हो जाना चाहिए रात को निरीक्षण के बाद वो लोग सुबह से पेन शुरू करवाएंगे.
बस सुबह से पेन शुरू होने के साथ ही एक लॉन्ग मेराथन भी शुरू हुई जो कि २२ अगस्त को ३ बज के ३६ मिनट पे समाप्त हुयी.
जब डॉक्टर ने बताया कि तुम आ गए हो तो मम्मा ने पूछा
बेबी गर्ल? क्यूंकि मम्मा पापा को बेबी गर्ल ही चाहिए थी.
इस तरह से हमारा सपना पूरा हुआ और तुम हमारे हाथों
में आ गयी.
इसके साथ ही ब्लॉग को नाम मिला "एक नया स्पंदन:सान्वी"